हवाओं का मिज़ाज जो पहले था वही रहा
हमने चलना नही छोड़ा
बढ़ना नही छोड़ा
छोड़ दिये रिश्ते नाते मेले ठेले
मगर पढ़ना नही छोड़ा
इस सफर मे बदला बहुत कुछ
मगर कुछ जस का तस रहा
जैसे
जमाने का अंदाज जो पहले था वही रहा
हवाओं का मिज़ाज जो पहले था वही रहा
मारूफ आलम