हमदर्द चाय!
कौन कहता है लत बुरी चीज़ है?
हमको तो हर हाल में, सम्भाला है चाय ने !
घूँट- घूँट वो घुलती रही हम में,
दर्द चुन- चुनकर, बाहर निकाला है चाय ने !
शराब के नशे में थे सभी शायर,
उन्हें भी अपना आदि, कर डाला है चाय ने !
हम सी ही फ़ितरत रखती है वो,
जैसा चाहा सबने, खुदको ढाला है चाय ने!
लोगों की परवरिश हुई दूध से,
हमको तो यारों नाज़ों से, पाला है चाय ने !
सर्वाधिकार सुरक्षित-पूनम झा ( महवश)