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19 Nov 2018 · 1 min read

हमको मस्ती में अपनी रहने दो

जो भी कहती है, दुनिया कहने दो
हमको मस्ती में,अपनी रहने दो
जाति मजहब की ,जो है दीवारें
वक्त के साथ ,इनको ढहने दो
नफरतों से न होगा ,कुछ हासिल
प्यार का दरिया ,दिल में बहने दो
क्यों दिखाते हो ,झूठा अपनापन
दर्द अपना है ,हँसके सहने दो
बंद लब हैं ,अभी मगर “योगी”
दिल की बातें ,नज़र से कहने दो

1 Like · 231 Views
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