हमको क्या
हमको क्या
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मिट्टी के तुम ख्वाब बना लो, हमको क्या
उस पर सारे रंग सजा लो, हमको क्या।
असली फूलों से महकेगा, गुलशन तो
कागज पर तुम इत्र लगा लो, हमको क्या।
एक ही टहनी के पंछी हैं, हम सारे।
तुम चाहे हथियार उठा लो, हमको क्या।
कितने सावन कितने मौसम, आए गए
इस मुद्दत भी अश्रु बहा लो, हमको क्या।
एक हुनर के कारिंदे है, हम दोनों
तुम चाहो तो पता लगा लो, हमको क्या।
(सुरेश जादव)