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6 Aug 2022 · 7 min read

*हनुमान धाम-यात्रा*

हनुमान धाम-यात्रा
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रामपुर 6 अगस्त 2022 शनिवार । कुछ तीर्थ स्थान सैकड़ों और हजारों साल पुराने हैं, लेकिन कुछ तीर्थ स्थान ऐसे भी हैं जो पिछले एक दशक में अस्तित्व में आए और अपनी मान्यता के कारण दिनों-दिन विख्यात होते चले गए। जनसाधारण उनके प्रति श्रद्धा भावना से आकृष्ट हुआ और वह देश के प्रमुख तीर्थों की सूची में अपना नाम लिखाने में सफल हुए। ‘हनुमान धाम’ उनमें से एक है।
उत्तराखंड के रामनगर शहर से नजदीक ही कभी जंगल हुआ करता था, आज वहां विशाल हनुमान धाम बनकर खड़ा हो गया है । चारों तरफ पेड़-पौधों और हरियाली से भरा हुआ वातावरण है । प्राकृतिक शांति विराजमान है। हनुमान धाम परिसर में प्रवेश करते ही नैनीताल की पहाड़ियों के दर्शन होने लगते हैं। मानो प्रकृति ने इस तीर्थ को रसमय बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी हो ।
सीनियर सिटीजन क्लब, रामपुर द्वारा आयोजित हनुमान धाम-यात्रा में मैं और मेरी पत्नी श्रीमती मंजुल रानी को शामिल होने का निमंत्रण मिला, जिसे हमने सहर्ष स्वीकार कर लिया। वास्तव में यह हमारा सौभाग्य रहा कि सामूहिक रूप से लगभग एक सौ लोगों के साथ हमें हनुमान-धाम की यात्रा करने का अवसर मिला । भक्तों के बीच रहकर भक्ति प्रगाढ़ होती है तथा जीवन में भक्ति का उदय हो पाता है ।
सुबह साढ़े सात बजे रामपुर से बस चली । बस में पूरा रास्ता गीत गाते हुए गुजरा । एक बहन ने अंताक्षरी आरंभ कर दी, जिसके परिणाम स्वरूप फिल्मों के भजन से लेकर पुराने और नए मशहूर गानों से बस महक उठी । फिर भजनों का दौर शुरू हुआ और अंत में जब बस हनुमान-धाम पहुंचने ही वाली थी तब हनुमान चालीसा का पाठ बस के भीतर गूंज रहा था।
संगमरमर की तीस-पैंतीस सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुंचने का रास्ता था । सीढ़ियों पर लाल रंग का कालीन बिछा हुआ था। मंदिर के शिखर लाल पत्थर के बने हुए थे । मुख्य गर्भगृह एक विशाल हॉल के रूप में अपनी स्वच्छता का प्रमाण स्वयं दे रहा था । मजाल है कि एक तिनका भी कहीं देखने को मिल जाए।
मंदिर के भीतर फोटो खींचने अथवा सेल्फी लेने पर सख्त मनाही थी, जिसका पालन आमतौर पर सब कर रहे थे। करना भी चाहिए । अच्छा नियम है । वास्तव में फोटो और सेल्फी ने मंदिर की एकाग्रता में व्यवधान डालने का ही काम किया है । देवता की जिस प्रतिमा को हमें अपनी आंखों में सुरक्षित भर लेना चाहिए, उसे केवल फोटो में सुरक्षित रखने का प्रयास रह जाता है । लेकिन हनुमान धाम में यह चूक नहीं हो सकती।
हनुमान जी की संगमरमर की आदमकद से कुछ बड़ी प्रतिमा मुख्य रूप से अपनी भव्यता तथा सुंदरता के कारण अपार श्रद्धा भाव से भक्तों को मोहित करने में समर्थ थी । एक कदम आगे और एक कदम पीछे की मुद्रा में हनुमान जी मानो अपनी गतिशीलता से संसार को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करने के लिए आज भी प्रयत्नशील हों। बाएं हाथ में गदा भूमि का स्पर्श करती हुई है। संगमरमर की मूर्ति अपनी मोहकता के कारण समूचे मंदिर परिसर के गर्भ-गृह की शोभा का अतुलनीय केंद्र है।
हनुमान धाम की विशिष्टता वास्तव में दीवार पर बने हुए उन छोटे-छोटे मंदिरों और मूर्तियों के कारण है जिनमें हनुमान जी के व्यक्तित्व और दिव्य चरित्र को दर्शाया गया है । एक मूर्ति संकीर्तनी हनुमान जी की है, जिसके साथ तुम्हरे भजन राम को भावे शब्द लिखे हुए हैं इसमें हनुमान जी संकीर्तन की मुद्रा में दिखाई पड़ रहे हैं।
दूसरी मूर्ति में संजीवनी बूटी ले जाते हुए हनुमान जी को दर्शाया गया है। इसके साथ यह पंक्ति लिखी गई हैं कि लक्ष्मण के तुम प्राण उबारो
एक मूर्ति में लव कुश लीला शीर्षक से हनुमान जी को सीता जी के साथ दिखाया गया है। इसमें लव कुश भी उपस्थित हैं।
एक महत्वपूर्ण मूर्ति पंचमुखी हनुमान जी की है। संगमरमर से बनी हुई इस मूर्ति में हनुमान जी के पांचों मुख सुस्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहे हैं । एक हनुमान जी का स्वयं का मुख, दूसरा नरसिंह अवतार का मुख, तीसरा गरुण का मुख, चौथा वराह मुख और पांचवा हयग्रीव अर्थात घोड़े के मुख वाला अवतार। वास्तव में ‘पंचमुखी हनुमान’ दिव्य और अलौकिक शक्तियों को प्रदर्शित करने वाली एक योग क्रिया है जिसमें हनुमान जी सिद्धहस्त हैं।
एक अन्य मूर्ति में राम और लक्ष्मण को कंधे पर हनुमान जी लिए हुए हैं ।
एक अन्य मूर्ति में राम सेतु निर्माण शीर्षक दिया गया है । इस पर लिखा हुआ है राम से बड़ा राम का नाम । यह रामसेतु के निर्माण से जुड़े हुए कार्य में हनुमान जी की भूमिका को दर्शाने वाला है ।
एक मूर्ति में हनुमान जी का विकराल रौद्र रूप है, जिसमें असुरों के संहार की भूमिका दर्शाई गई है ।
एक मूर्ति में हनुमान जी के हृदय में राम और सीता विराजमान दिखाए गये हैं। इस पर राम लखन सीता सहित हृदय बसहुॅं सुर भूप -यह सुंदर पंक्तियां लिखी हुई हैं।
सुरसा के मुख से हनुमान जी ने बल, बुद्धि और पराक्रम के साथ जिस प्रकार प्रवेश करके बाहर निकलने में सफलता प्राप्त कर ली, उसका प्रदर्शन भी एक मूर्ति के माध्यम से हनुमान धाम मंदिर परिसर में दर्शाया गया है।
इन्हीं मूर्तियों के मध्य में गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित है। गणेश जी को रिद्धि-सिद्धि के स्वामी तथा कुंडलिनी शक्ति के नियंता लिखकर विशिष्ट भाव से अलंकृत किया गया है ।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा इन पंक्तियों के साथ माता और पुत्र की प्रतिमा हनुमान धाम को वात्सल्य रस से जोड़ रही है। माता और पुत्र का जो संबंध होता है, वह कितना महत्वपूर्ण है यह इस मूर्ति के द्वारा दर्शाया गया है।
एक अन्य मूर्ति में लंका में अशोक वाटिका में हनुमान जी सीता जी को प्रभु श्री राम की मुद्रिका अर्थात अंगूठी दे रहे हैं।
लंका दहन हनुमान जी के महान साहसिक कार्यों में सर्वोपरि है । विकट रूप धरि लंक जरावा इन पंक्तियों के साथ चित्र को वाणी दी गई है ।
एक अन्य प्रतिमा में हनुमान जी को राम कथा की पुस्तक पढ़ते हुए दिखलाया गया है । कुछ अन्य पुस्तकें भी इस चित्र में रखी गई हैं। राम रसायन तुम्हरे पासा -इस वाक्य के साथ चित्र को सुशोभित किया गया है । इसमें हनुमान जी की एक अध्ययनशील व्यक्ति की छवि दर्शाई गई है ।
राम लक्ष्मण और जानकी के साथ बहुत छोटे रूप में हनुमान जी की उपस्थिति एक चित्र में इस प्रकार से दर्शाई गई है कि शरणागत हनुमान जी का भाव चित्र में स्वयं स्पष्ट हो जाए।
एक अन्य मूर्ति में राम दरबार का वृहद चित्र है । किंतु इसमें हनुमान जी को सामान्य आकार में ही दिखाया गया है।
हनुमान जी को शिव के 11 वें रुद्र के रूप में बताते हुए रामेश्वरम में भगवान शंकर की पूजा करते हुए रामचंद्र जी के साथ हनुमान जी को भी दिखाया गया है । इस तरह यह मूर्ति राम, शिव और हनुमान– इन तीनों को अभिन्न बना देती है ।
हनुमान धाम मंदिर के मुख्य हॉल में प्रतिदिन की तिथि बोर्ड पर लिखी जाती है । जिस दिन हम गए, वह यद्यपि 6 अगस्त 2022 ईसवी थी किंतु इसका कोई उल्लेख बोर्ड पर नहीं था। केवल इतना ही लिखा था शुक्ल पक्ष श्रावण मासे गते 22 ऋतु वर्षा अर्थात वर्षा ऋतु है और सावन का महीना चल रहा है। हनुमान धाम ने भक्तों को यही बताना उचित समझा ।
हनुमान जी के विविध चित्र जो हनुमान धाम में प्रदर्शित किए गए हैं, सब प्रकार से भारत के हजारों साल पुराने इतिहास पर प्रकाश डालते हैं । भारत की राममय संस्कृति को स्वाभिमान के साथ संपूर्ण विश्व में फैलाने के काम में हनुमान जी की महत्वपूर्ण भूमिका भी यह चित्र बताते हैं। दास्य भाव से हनुमान जी ने किस प्रकार से भगवान राम के कार्यों को पूर्णता प्रदान करने के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था, सब चित्रों से यही भाव प्रकट हो रहा है । हनुमान धाम कर्ता भाव से रहित निष्काम सेवा का व्रत आने वाले हजारों लाखों तीर्थ-यात्रियों के हृदयों में भर सकेगा, ऐसा विश्वास किया जाना चाहिए ।
मंदिर में मुख्य मूर्ति के आगे जमीन पर बिछाई के साथ-साथ कुर्सियों पर भी बैठने की व्यवस्था है । यहां माइक भी लगा हुआ था, जिस पर हमारे साथ आई बहनों ने भक्ति भाव से लगभग एक घंटे तक विभिन्न भजन मधुर आवाज में गा कर सुनाए।
हनुमान-धाम मंदिर के मुख्य प्लेटफार्म पर ही एक छोटा सा शिव मंदिर भी है, जिस पर रामपुर निवासी श्रीमती अलका जैन ने विधिवत रूप से विस्तार से पूजा का कार्य संपन्न किया । इसमें उनके साथ चंदौसी, मुरादाबाद और मेरठ से आई उनकी बहनों ने भी सहभागिता की । अलका जैन की माताजी श्रीमती राजेश्वरी देवी के साथ-साथ मंदिर वाली गली निवासी सुमित अग्रवाल ने भी पूजा में विशेष कार्य किया।
यात्रा में सर्व श्री अशोक कुमार अग्रवाल,शिव कुमार गुप्ता,अजय अग्रवाल (रामपुर डिस्टलरी) तथा राकेश गुप्ता (स्टेट बैंक) के हॅंसमुख स्वभाव ने चार चॉंद लगा दिए।
यह यात्रा वस्तुतः रामपुर निवासियों की ओर से हनुमान-धाम में दिया गया एक प्रणाम था । हनुमान धाम में दिन-भर कभी बादल छा जाते थे, तो कभी तेज धूप निकल आती थी । इसी आंख-मिचौली के बीच स्वादिष्ट कचौड़ी, आलू की सब्जी, गंगाफल और रायते के साथ साथ रवे के हलवे का मधुर स्वाद भी हम सभी बस-यात्रियों को प्राप्त हुआ । भोजन व्यवस्था के लिए परिसर में एक विशाल भोजन कक्ष है। इसके अलावा करीब आठ-दस दुकानें (रेस्टोरेंट तथा गिफ्ट आइटम की) हनुमान धाम में स्थित हैं। सब प्रकार की सुविधाओं से हनुमान धाम संपन्न है । अभी भी निर्माण कार्य हमें चलता हुआ दिखा । पार्क न केवल वृहदाकार और सुंदर बने हुए हैं बल्कि उनका मूल्यवान रखरखाव विशेष रुप से ध्यान आकृष्ट करने वाला है । शाम होने से पहले हम लोग बस में बैठ कर पुनः रामपुर की ओर प्रस्थान कर गये।
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लेखक :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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