हद
हद में हूं मैं अपने
तभी तो कोई फसाद नहीं होता,
गर पार कर दू मैं अपनी हद
तो जरूर फसाद मुमकिन होता ।।
गर मैं बदल जाऊं तो
हालात कुछ और होंगे,
हर बात पे बात और
बवाल कुछ और होंगे ।।
न किसी के सामने अच्छा बनेंगे
न किसी के सामने बुरा बनेंगे।
जो मेरे साथ जैसा करता है
उसके साथ वैसा ही बनेंगे।।
© अभिषेक पाण्डेय अभि