“हठी”
“हठी”
हठी कैसे ना कहूँ
उन प्रतिस्पर्धियों को
जो मंजिल पर पहुँच जाते हैं,
उस सैनिक को भी
जो मातृभूमि की रक्षा खातिर
अपनी जान की बाजी लगाकर
विजय पताका फहराते हैं।
“हठी”
हठी कैसे ना कहूँ
उन प्रतिस्पर्धियों को
जो मंजिल पर पहुँच जाते हैं,
उस सैनिक को भी
जो मातृभूमि की रक्षा खातिर
अपनी जान की बाजी लगाकर
विजय पताका फहराते हैं।