Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Apr 2024 · 1 min read

“हठी”

“हठी”
हठी कैसे ना कहूँ
उन प्रतिस्पर्धियों को
जो मंजिल पर पहुँच जाते हैं,
उस सैनिक को भी
जो मातृभूमि की रक्षा खातिर
अपनी जान की बाजी लगाकर
विजय पताका फहराते हैं।

3 Likes · 3 Comments · 95 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर
आर.एस. 'प्रीतम'
4) धन्य है सफर
4) धन्य है सफर
पूनम झा 'प्रथमा'
जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
gurudeenverma198
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सत्य की विजय हुई,
सत्य की विजय हुई,
Sonam Puneet Dubey
रास्तों पर चलते-चलते
रास्तों पर चलते-चलते
VINOD CHAUHAN
मोहब्बत
मोहब्बत
Dinesh Kumar Gangwar
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जीवन में असफलता के दो मार्ग है।
जीवन में असफलता के दो मार्ग है।
Rj Anand Prajapati
एकांत
एकांत
Akshay patel
क्या कहें कितना प्यार करते हैं
क्या कहें कितना प्यार करते हैं
Dr fauzia Naseem shad
अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
Buddha Prakash
आपको देखकर _दिल को ऐसा लगा
आपको देखकर _दिल को ऐसा लगा
कृष्णकांत गुर्जर
4029.💐 *पूर्णिका* 💐
4029.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
यादों की सफ़र
यादों की सफ़र"
Dipak Kumar "Girja"
मैं कीड़ा राजनीतिक
मैं कीड़ा राजनीतिक
Neeraj Mishra " नीर "
कभी कभी
कभी कभी
Shweta Soni
मां तुम बहुत याद आती हो
मां तुम बहुत याद आती हो
Mukesh Kumar Sonkar
संवेदना
संवेदना
Neeraj Agarwal
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
Manisha Manjari
भगवन तेरे द्वार पर, देखे अगणित रूप
भगवन तेरे द्वार पर, देखे अगणित रूप
Suryakant Dwivedi
बातें करते प्यार की,
बातें करते प्यार की,
sushil sarna
बूंद बूंद से सागर बने
बूंद बूंद से सागर बने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
..
..
*प्रणय*
चाहे हो शह मात परिंदे..!
चाहे हो शह मात परिंदे..!
पंकज परिंदा
"नन्नता सुंदरता हो गई है ll
पूर्वार्थ
रहो कृष्ण की ओट
रहो कृष्ण की ओट
Satish Srijan
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
Ranjeet kumar patre
"लावा सी"
Dr. Kishan tandon kranti
स्पर्श करें निजजन्म की मांटी
स्पर्श करें निजजन्म की मांटी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...