‘हकीकत’
हकीकत में किसी से कौन मिलने आता है।
कभी कभी बस ऑनलाइन दिख जाता है।
बरसों से चेहरा देखा न हो जिसका
उसका यहाँ मैसेज जरूर दिख जाता है।
न गले लगता है कोई न हाथ मिलाता है
हाँ कभी वीडियो चैट में नजर आ जाता है।
वो पहले जैसी हंसी ठिठौली गुम हो गई
हंसी के मुखौटे में हर कोई मुस्कराता है।
मेहमान नवाजी के तो कहने ही क्या हैं!
बस वाट्सप पर रोज दावत खिलाता है।