हकीकत
जी रहा था ख्यावों में
हकीकत से सामना न था
दुनिया की इस भीड़ में
अपनों का पता ना था
लोगो की इस भीड़ में
कोई भी पराया ना था
टूटा जब सपना मेरा
हकीकत में कोई न था
जी रहा था ख्यवो में
हकीकत से सामना न था
जी रहा था ख्यावों में
हकीकत से सामना न था
दुनिया की इस भीड़ में
अपनों का पता ना था
लोगो की इस भीड़ में
कोई भी पराया ना था
टूटा जब सपना मेरा
हकीकत में कोई न था
जी रहा था ख्यवो में
हकीकत से सामना न था