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12 Feb 2023 · 1 min read

हक़ीक़त बताना ज़रूरी नहीं था

हक़ीक़त बताना ज़रूरी नहीं था
मुझे यूँ रुलाना ज़रूरी नहीं था

अगर तुम नहीं थी ग़ज़ल मेरी फिर तो
तुम्हें गुनगुनाना ज़रूरी नहीं था

मुझे छोड़कर तुमको जाना अगर था
ये मिलना-मिलाना ज़रूरी नहीं था

भुलाकर तुम्हें जब लगा आगे बढ़ने
मुझे फिर बुलाना ज़रूरी नहीं था

तड़पकर मेरी मौत वैसे भी होती
गला तो दबाना ज़रूरी नहीं था

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

Language: Hindi
1 Like · 142 Views
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