हंसिए
हर म’आनी में ज़िंदगी हसीं रुबाई है हँसिये
हँसना हि यार हर मर्ज की दवाई है हँसिये
इल्म ए अरुज अमन ए रिहाल सब फूजूल
बातिल मे’यार अब सुखन – सराई है हॅंसिये
रास्त से मतलब कहाँ रहा किसी को यहाँ
अख़बारों में भी सुर्खी बनी-बनाई है हॅंसिये
तन्हाई रंज वहशत दस्तियाब सुखन गोई में
ये दाद नाम शोहरत सब झूठी कमाई है हॅंसिये
औरों के होंगे गर्दिश ए वक़्त में ऐसे वैसे कुनु
अपना तो शग़ल फ़क़त ग़ज़ल-सराई है हॅंसिये