हंसगति
हंसगति
धेनु चराएँ श्याम, बजाएँ वंशी।
बस गोकुल के ग्राम, हो चंद्र-अंशी।
देते जग – संदेश, करो गौ सेवा।
सभी मिटेंगे क्लेश, मिलेगी मेवा।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
हंसगति
धेनु चराएँ श्याम, बजाएँ वंशी।
बस गोकुल के ग्राम, हो चंद्र-अंशी।
देते जग – संदेश, करो गौ सेवा।
सभी मिटेंगे क्लेश, मिलेगी मेवा।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद