हँसती आँखें
********** हँसती आँखें ***********
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दिल को खूब भाती हैं मुस्कराती आँखें
चितवन हर्षित कर जाती हैं हँसती आँखें
मय सी नशीली आँखों के तो क्या कहने
मुर्छित सा कर जाती हैं तेरी नशीली आँखें
जादू सा करती हैं अनछुये से तन मन पर
मदहोश सा कर जाती हैं तेरी जादुई आँखें
आँखों ही आँखों से करती रहती है ईशारे
ईशारों से समझा जाती है मटकती आँखें
काली गहरी घनी आँखें बदली सी बरसती
आँसुओं से भिगो जाती नीर बरसती आँखे
सागर सी गहराई में कई राज छुपा लेती हैं
तिजोरी में यादें बसा लेत रहस्यमयी आँखें
प्रेम उपासना में उपासकों को हरती रहती
प्रेम राहें दिखाती हैं बन मार्गदर्शिका आँखें
मनसीरत क्या समझेगा आँखों की बाते
जीवन को संवारती हैंं श्यामल सी आँखें
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)