स्वर कोकिला लता जी
स्वर कोकिला लता जी
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सुरो की कोकिला चली गई,
हमको रुलाकर वे चली गई।
लताजी अब हमारे बीच नहीं,
यादें छोड़कर अब चली गई।।
गाये थे उन्होंने हजारों गीत,
बनाये थे उन्होंने लाखो मीत।
कैसे हम उनको भुला बैठेंगे,
याद रहेंगे उनके सब गीत ।।
लता जी अब नही रही,
ये कहना अब सही नही।
अमर है उनका स्वर अभी,
भूल सकता उन्हे कोई नही।।
स्वर कोकिला भारत की नही,
वे सम्पूर्ण विश्व की ही रही।
छत्तीस भाषाओं में गाए गीत,
वे सब भाषाओं की रीत रही।।
1929 में उनका जन्म हुआ,
मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ।
पांच भाई बहनों की थी दीदी,
दीनानाथ जी के घर जन्म हुआ।।
कैसे हम उनको विदाई दे,
सदा वे हमको दिखाई दे।
अश्व धारा आज बह रही,
उनके गीत गाते दिखाई दे।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम