“स्व”मुक्ति
विचारों के ताने -बाने में उलझ कर रह गया हूँ ,
कल्पना -लोक में विचरण से स्वयं को ना रोक पाता हूँ ,
पूर्वकल्पित धारणाओं के भ्रम-जाल में खो सा गया हूँ ,
पूर्वाग्रह के वारिद मानस पटल पर आच्छादित हैं ,
परिकल्पनाओं से तथ्य अन्वेषण प्रज्ञा प्रभावहीन है,
सत्य की खोज में अपने”स्व” से मुक्त होने प्रयास रत् हूँ,
उस पथ पर संकल्प लेकर अग्रसर होने ,
जहाँ सत्य का आलोक मेरी प्रतीक्षा कर रहा है।