Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Dec 2024 · 1 min read

“स्व”मुक्ति

विचारों के ताने -बाने में उलझ कर रह गया हूँ ,
कल्पना -लोक में विचरण से स्वयं को ना रोक पाता हूँ ,

पूर्वकल्पित धारणाओं के भ्रम-जाल में खो सा गया हूँ ,
पूर्वाग्रह के वारिद मानस पटल पर आच्छादित हैं ,

परिकल्पनाओं से तथ्य अन्वेषण प्रज्ञा प्रभावहीन है,
सत्य की खोज में अपने”स्व” से मुक्त होने प्रयास रत् हूँ,

उस पथ पर संकल्प लेकर अग्रसर होने ,
जहाँ सत्य का आलोक मेरी प्रतीक्षा कर रहा है।

Language: Hindi
14 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
वो काल है - कपाल है,
वो काल है - कपाल है,
manjula chauhan
असल......सच यही है
असल......सच यही है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
#प्रभात_चिन्तन
#प्रभात_चिन्तन
*प्रणय*
आरंभ
आरंभ
मनोज कर्ण
यूं जरूरतें कभी माँ को समझाने की नहीं होती,
यूं जरूरतें कभी माँ को समझाने की नहीं होती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
..............
..............
शेखर सिंह
समय बदलता
समय बदलता
surenderpal vaidya
शून्य से शिखर तक
शून्य से शिखर तक
शशि कांत श्रीवास्तव
भोर के ओस!
भोर के ओस!
कविता झा ‘गीत’
4599.*पूर्णिका*
4599.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लव जिहाद_स्वीकार तुम्हारा ना परिणय होगा...
लव जिहाद_स्वीकार तुम्हारा ना परिणय होगा...
पं अंजू पांडेय अश्रु
दोहे
दोहे
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
©️ दामिनी नारायण सिंह
डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक  अबोध बालक 😂😂😂
डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक 😂😂😂
DR ARUN KUMAR SHASTRI
क्यों न आएं?
क्यों न आएं?
Ghanshyam Poddar
मुफ़लिसी से वो डर गया होगा ,
मुफ़लिसी से वो डर गया होगा ,
Dr fauzia Naseem shad
कोई और नहीं
कोई और नहीं
Anant Yadav
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
Phool gufran
यह जीवन अनमोल रे
यह जीवन अनमोल रे
विजय कुमार अग्रवाल
अब ये हाथ मुझे चुभने लगे हैं
अब ये हाथ मुझे चुभने लगे हैं
Jyoti Roshni
जा रहे हो तुम अपने धाम गणपति
जा रहे हो तुम अपने धाम गणपति
विशाल शुक्ल
किया नहीं मतदान
किया नहीं मतदान
RAMESH SHARMA
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
इस ज़िंदगी के रंग कई होते हैं...
इस ज़िंदगी के रंग कई होते हैं...
Ajit Kumar "Karn"
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
Raju Gajbhiye
एक दुआ दिल से
एक दुआ दिल से
MEENU SHARMA
"डिब्बा बन्द"
Dr. Kishan tandon kranti
श्रंगार लिखा ना जाता है।
श्रंगार लिखा ना जाता है।
Abhishek Soni
रोला छंद :-
रोला छंद :-
sushil sarna
Loading...