जीवन के उपन्यास के कलाकार हैं ईश्वर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बीत गया प्यारा दिवस,करिए अब आराम।
रंग ही रंगमंच के किरदार है
भोर की खामोशियां कुछ कह रही है।
बीरबल जैसा तेज तर्रार चालाक और समझदार लोग आज भी होंगे इस दुन
नई जगह ढूँढ लो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कुछ लड़कों का दिल, सच में टूट जाता हैं!
बदली है मुफ़लिसी की तिज़ारत अभी यहाँ
प्रेम पर शब्दाडंबर लेखकों का / MUSAFIR BAITHA
दिन भी बहके से हुए रातें आवारा हो गईं।
गाथा जीवन की सदा ,गाता तन का कर्म (कुंडलिया)