स्वप्न में यूं तुमसे मुलाकात होगई.
सोया था तेरे साथ ही पर अजीब बात होगई…
आज स्वप्न में यूं तुमसे मुलाकात होगई…
तुम तो थीं, हां तुम ही थीं, तुम सी न थी…
नेह था,अनुराग था पर आग सी सुलगी न थी…
प्यासे मरुस्थल में ये कैसे बरसात हो गई…
आज स्वप्न में यूं तुमसे मुलाकात हो गई…
ना कुढ़न, ना कटाक्ष, ना अहम ना चुभन…
समा गए ना भान था कि एक है या दो बदन…
ये तेरी मै और मेरी मै भी साथ साथ सो गई…
आज स्वप्न में यूं तुमसे मुलाकात हो गई…
दो रूह थी धुली हुई और प्रेम से पगी हुई…
आज तक मिली नहीं पर वो रात में सगी हुई…
हम सोके जागे रात भर, पर रात थकी सो गई…
आज स्वप्न में यूं तुमसे मुलाकात हो गई…
भारतेन्द्र शर्मा “भारत”
धौलपुर