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19 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

तुमने पूँछा कैसा हूँ ?
बगुले – सा चौकन्ना हूँ ।

जपती है दादी जिसको,
उस माला का मनका हूँ ।

जैसा हँसते हैं पापा,
बिल्कुल वैसा हँसता हूँ ।

जितना रोती है मम्मी,
मैं भी उतना रोता हूँ ।

अद्भुत साहस है जिसमें,
उस बहना का भैया हूँ ।

कोयल-सी जो मीठी है,
उस बेटी का पापा हूँ ।

बेटा की आँखें कहतीं,
मैं पापा के जैसा हूँ ।

दर्द जिसे आनंद बना,
उस भैया का भ्राता हूँ ।

बहुत चाहते मित्र मुझे,
उनके लिए भरोसा हूँ ।

एक शिष्य है प्रिय मेरा,
कुछ-कुछ उसके जैसा हूँ ।

नाम मेरा रटती रहती,
उस पत्नी की माला हूँ ।

असमय छोड़ गए हैं जो,
उन अनुजों की ममता हूँ ।

रूह “ईश्वर” की जिसमें,
उस ईश्वर की काया हूँ ।

०००

— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
2 Likes · 72 Views
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