Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2019 · 1 min read

स्वतंत्रता

स्वतंत्रता

हर वर्ष
बुलेट-प्रूफ
शीशों में से
दिया जाता है भाषण
कि आज हम
मना रहे हैं
स्वतन्त्रता की
सत्तरवीं या इकहत्तरवी
या कोई और
वर्षगांठ

इसके बाद नेता जी
फिर से
हो जातें हैं विलीन
सुरक्षाकर्मियों की
भीड़ में

स्वतंत्रता भी
खो जाती है फिर से
एक वर्ष के लिए

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
1 Like · 301 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं तो महज जीवन हूँ
मैं तो महज जीवन हूँ
VINOD CHAUHAN
पुरानी पेंशन
पुरानी पेंशन
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
Unlocking the Potential of the LK99 Superconductor: Investigating its Zero Resistance and Breakthrough Application Advantages
Unlocking the Potential of the LK99 Superconductor: Investigating its Zero Resistance and Breakthrough Application Advantages
Shyam Sundar Subramanian
आप अपना
आप अपना
Dr fauzia Naseem shad
चलो आज वक्त से कुछ फरियाद करते है....
चलो आज वक्त से कुछ फरियाद करते है....
रुचि शर्मा
दरोगवा / MUSAFIR BAITHA
दरोगवा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
नज़्म - चांद हथेली में
नज़्म - चांद हथेली में
Awadhesh Singh
"सेहत का राज"
Dr. Kishan tandon kranti
टूटकर बिखरना हमें नहीं आता,
टूटकर बिखरना हमें नहीं आता,
Sunil Maheshwari
माना नारी अंततः नारी ही होती है..... +रमेशराज
माना नारी अंततः नारी ही होती है..... +रमेशराज
कवि रमेशराज
फूल बनकर खुशबू बेखेरो तो कोई बात बने
फूल बनकर खुशबू बेखेरो तो कोई बात बने
इंजी. संजय श्रीवास्तव
एहसास
एहसास
Er.Navaneet R Shandily
मज़दूर दिवस विशेष
मज़दूर दिवस विशेष
Sonam Puneet Dubey
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गिलहरी
गिलहरी
Satish Srijan
बाहर से खिलखिला कर हंसता हुआ
बाहर से खिलखिला कर हंसता हुआ
Ranjeet kumar patre
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
Mahender Singh
पेड़ लगाओ तुम ....
पेड़ लगाओ तुम ....
जगदीश लववंशी
सत्कर्म करें
सत्कर्म करें
Sanjay ' शून्य'
#आज_का_कटाक्ष
#आज_का_कटाक्ष
*प्रणय प्रभात*
आक्रोश तेरे प्रेम का
आक्रोश तेरे प्रेम का
भरत कुमार सोलंकी
ओढ़े जुबां झूठे लफ्जों की।
ओढ़े जुबां झूठे लफ्जों की।
Rj Anand Prajapati
"समझाइश "
Yogendra Chaturwedi
सपना देखना अच्छी बात है।
सपना देखना अच्छी बात है।
Paras Nath Jha
अभी  बाक़ी  है  मेरी  जान , तेरी  जान  की  साथी ,
अभी बाक़ी है मेरी जान , तेरी जान की साथी ,
Neelofar Khan
55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
55…Munsarah musaddas matvii maksuuf
sushil yadav
विगुल क्रांति का फूँककर, टूटे बनकर गाज़ ।
विगुल क्रांति का फूँककर, टूटे बनकर गाज़ ।
जगदीश शर्मा सहज
*अध्याय 6*
*अध्याय 6*
Ravi Prakash
कवि को क्या लेना देना है !
कवि को क्या लेना देना है !
Ramswaroop Dinkar
*अज्ञानी की कलम शूल_पर_गीत
*अज्ञानी की कलम शूल_पर_गीत
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
Loading...