स्वतंत्रता की अक्षुण्णता के लिए,
स्वतंत्रता की अक्षुण्णता के लिए,
हर दौर में टकराएंगी तलवार।
बरसेंगे गोले,गोलियों की होगी बौछार,
हर दौर में शत्रुओं की होगी संघार।
देश के लिए मर मिटेंगे हर मां के लाल,
हर दौर में कुर्बान होंगी सुहागिनों के सिंगार।
तोड़कर चले जाएंगे हर बंधन मोह के,
हर दौर में उजड़ेगें बसे बसाए परिवार ।
तैनात रहेंगे स्वतंत्रता के प्रहरी,हर दौर हर बार,
हर दौर में विदेशी शत्रुओं, गद्दारों पर होगी प्रहार।
कई घटनाएं होंगी पुलवामा सी,कारगिल सा वार,
घात लगाए बैठे शत्रु देश के अंदर और सीमा पार।
हर दौर में रक्त की प्यासी धरती हेतु होंगी कुर्बानी,
लिखी जाएंगी शौर्य गाथाएं,काफिले सजेंगे बारंबार।
नमन है उन शहीदों को जिसने छोड़ा घर-बार,
भारत मां के रक्षा खातिर, त्याग दिया संसार।