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16 Apr 2018 · 1 min read

#कुंडलिया//अपनापन

सिंचित अपनापन करो , रहता दूर विषाद।
फूलों से गुलशन खिले , हृदय प्रेम से शाद।।
हृदय प्रेम से शाद , बने है घर रिश्तों से।
ऊर्जा मिलती ख़ूब , दूध मेवे पिस्तों से।
सुन प्रीतम की बात , चीज़ अच्छी हो शोभित।
लो दो मस्ती प्रेम , करो हर जीवन सिंचित।

#आर.एस. ‘प्रीतम’

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