कभी आंख मारना कभी फ्लाइंग किस ,
💐अज्ञात के प्रति-146💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
डार्क वेब और इसके संभावित खतरे
कुछ लोगो के लिए आप महत्वपूर्ण नही है
जब मैं मर जाऊं तो कफ़न के जगह किताबों में लपेट देना
इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
" अब मिलने की कोई आस न रही "
विष का कलश लिये धन्वन्तरि
तुम्हारे लिए हम नये साल में
*यह सही है मूलतः तो, इस धरा पर रोग हैं (गीत)*
अच्छी लगती धर्मगंदी/धर्मगंधी पंक्ति : ’
एहसास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर