स्त्री
स्त्री !
टूटी हूँ बिखरी हूँ
सहमी हूँ सिसकी हूँ
पिघली हूँ ढली हूँ
कटी हूँ जली हूँ
फिर भी खड़ी हूँ
सम्मान पे अड़ी हूँ
हक़ से जुड़ी हूँ
अनय से लड़ी हूँ
क्योंकि…
मैं डरी नहीं हूँ !
मैं स्त्री हूँ!
रेखा
स्त्री !
टूटी हूँ बिखरी हूँ
सहमी हूँ सिसकी हूँ
पिघली हूँ ढली हूँ
कटी हूँ जली हूँ
फिर भी खड़ी हूँ
सम्मान पे अड़ी हूँ
हक़ से जुड़ी हूँ
अनय से लड़ी हूँ
क्योंकि…
मैं डरी नहीं हूँ !
मैं स्त्री हूँ!
रेखा