Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Feb 2018 · 2 min read

सोशल मीडिया एवं सांस्कृतिक अस्मिता

सोशल मीडिया एवं सांस्कृतिक अस्मिता

हमारा देश प्रगति के मार्ग पर है । अब समय डिजिटल का हो गया है। आज हर काम इंटरनेट से जुड़ गया है । बहुत ही सुविधाजनक है इंटरनेट के जरिए किसी काम को घर बैठे कर लेना ।
फिर हमारा सामाजिक क्रिया-कलाप इसमें पीछे कैसे रह सकता है । सोशल मीडिया का आगमन हुआ, जो हमें देश-विदेश के लोगों से जोड़ दिया है । जैसे ट्वीटर, फेसबुक, वाट्सएप, यूट्यूब इत्यादि । हम इसके जरिए कई नए-नए लोगों से जुड़ रहे हैं और कई बिछुड़े हुए मित्र या खास व्यक्ति से भी जुड़ते जा रहे हैं । इसके माध्यम से कई अच्छे लोग और प्रतिष्ठित प्रभावशाली व्यक्तियों से हम जुड़ते जा रहे हैं । इसके माध्यम से हमें नई-नई जानकारी मिलती है । कोई संदेश देना हो तो सोशल मीडिया तीव्र गति से लाखों लोगों तक पहुंचा देती है । बच्चे क्या बड़े-बुजुर्ग भी इसमें रुचि लेने लगे हैं ।
आजकल जहाँ सोशल मीडिया बहुत ही सार्थक
लगने लगा है तो वहीं इसके दुष्परिणाम भी बहुत सामने आ रहे हैं । चूंकि सोशल मीडिया हमें देश-विदेश से जोड़ रहा है । इसलिए हमारी संस्कृति पर विदेशी प्रभाव पड़ता जा रहा है ।
खास कर बच्चे और युवा वर्ग विदेशी संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं । जिससे उनके विचार, व्यवहार, पहनावे-ओढ़ावे में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है । सोशल मीडिया पर मर्यादा विहीन शब्दों का प्रयोग ऐसे करने लगे हैं । जैसे मर्यादा का कोई महत्व ही नहीं हो ।
दोष हम केवल बच्चों या युवा को नहीं दे सकते हैं, क्योंकि कई बुजुर्ग महिला या पुरुष भी सोशल मीडिया पर मर्यादा विहीन शब्दों का प्रयोग और अजीबोगरीब लिवास में अपनी तस्वीर पोस्ट करने से नहीं चूकते ।
कई पुरुष सादगी भेष में तस्वीर रखते और महिलाओं के इनबॉक्स में अभद्रता पूर्ण शब्दों का इस्तेमाल करते हैं ।
यदि सोशल मीडिया हमें देश-विदेश से जोड़ती है तो यही हमें आसपास से दूर भी कर रही है ।
आजकल घर परिवार में भी सभी इकट्ठे बैठकर बातें कम करते हैं । सोशल मीडिया पर अधिक व्यस्त रहते हैं ।
“कहाँ जा रही है हमारी संस्कृति ?” ये विचारणीय विषय है ।
हम सब को संतुलन बना कर चलना चाहिए ।
बच्चों के लिए भी कुछ पाबंदी भी जरूरी है जिससे हम प्रगति की ओर जरूर बढ़ें किन्तु सांस्कृतिक अस्मिता की गरिमा भी बनी रहे ।

पूनम झा
कोटा राजस्थान
मोब. 9414875654

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 8840 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अधूरा ही सही
अधूरा ही सही
Dr. Rajeev Jain
4619.*पूर्णिका*
4619.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भावुक हृदय
भावुक हृदय
Dr. Upasana Pandey
नश्वर तन को मानता,
नश्वर तन को मानता,
sushil sarna
ഒന്നോർത്താൽ
ഒന്നോർത്താൽ
Heera S
जो लिखा है
जो लिखा है
Dr fauzia Naseem shad
" हिम्मत "
Dr. Kishan tandon kranti
■ दोहा देव दीवाली का।
■ दोहा देव दीवाली का।
*प्रणय*
मंदिरों की पवित्रता
मंदिरों की पवित्रता
पूर्वार्थ
पिता
पिता
Swami Ganganiya
मेरी खुशियों की दिवाली हो तुम।
मेरी खुशियों की दिवाली हो तुम।
Rj Anand Prajapati
"होली है आई रे"
Rahul Singh
कैसी लगी है होड़
कैसी लगी है होड़
Sûrëkhâ
शिवोहं
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पूजा
पूजा
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मैं हिन्दुस्तानी !
मैं हिन्दुस्तानी !
Shyam Sundar Subramanian
प्रकृति का प्रकोप
प्रकृति का प्रकोप
Kanchan verma
कॉलेज वाला प्यार
कॉलेज वाला प्यार
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कैसे निभाऍं उसको, कैसे करें गुज़ारा।
कैसे निभाऍं उसको, कैसे करें गुज़ारा।
सत्य कुमार प्रेमी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
लक्ष्मी सिंह
मान तुम प्रतिमान तुम
मान तुम प्रतिमान तुम
Suryakant Dwivedi
Line.....!
Line.....!
Vicky Purohit
किसान
किसान
Dinesh Kumar Gangwar
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पृष्ठों पर बांँध से
पृष्ठों पर बांँध से
Neelam Sharma
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
Sunil Maheshwari
माँ लक्ष्मी
माँ लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
मैं एक आम आदमी हूं
मैं एक आम आदमी हूं
हिमांशु Kulshrestha
अरे वो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा
अरे वो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा
Keshav kishor Kumar
Loading...