” सोचो “
” सोचो ”
वो शासक भी क्या शासक है,
जिनसे खुश कोई रियाया नहीं।
वो हुनर भी आखिर क्या हुनर है,
जो महफ़िल में रंग जमाया नहीं।
” सोचो ”
वो शासक भी क्या शासक है,
जिनसे खुश कोई रियाया नहीं।
वो हुनर भी आखिर क्या हुनर है,
जो महफ़िल में रंग जमाया नहीं।