“सोचिए”
“सोचिए”
सोचिए जरा
उस दुःख की पराकाष्ठा
जो निर्वासित होके जा रहे,
गोरे तेरे कपट की लीला
बाप हिन्द में रह गए
बेटा ‘ना’पाक को जा रहे।
“सोचिए”
सोचिए जरा
उस दुःख की पराकाष्ठा
जो निर्वासित होके जा रहे,
गोरे तेरे कपट की लीला
बाप हिन्द में रह गए
बेटा ‘ना’पाक को जा रहे।