सोचते – सोचते
अपना कुछ नहीं
सब को सुखः दिया
फिर भी कुछ नाराज
सोचा –
फिर सोचा
सोचते – सोचते
बिमार पड़ गया
एक दिन मौत ने भी
घेर लिया
हो गया अन्तिम संस्कार
जो नाराज थे
अब वो भी कहते हैं
बहुत अच्छा था
फिर बुरा क्या था
बुरा तो समय था
अपना कुछ नहीं
सब को सुखः दिया
फिर भी कुछ नाराज
सोचा –
फिर सोचा
सोचते – सोचते
बिमार पड़ गया
एक दिन मौत ने भी
घेर लिया
हो गया अन्तिम संस्कार
जो नाराज थे
अब वो भी कहते हैं
बहुत अच्छा था
फिर बुरा क्या था
बुरा तो समय था