“सोचता हूँ”
“सोचता हूँ”
सोचता हूँ आईने से
बेहतर कोई दोस्त नहीं,
जिद भी तो नशा है
बाजार में जो नहीं मिलते,
मिलती नहीं तारीफ
कभी इंसान को जीते जी,
सोच कर देखो जरा
क्या ऐसा कोई प्रमाण मिलते?
“सोचता हूँ”
सोचता हूँ आईने से
बेहतर कोई दोस्त नहीं,
जिद भी तो नशा है
बाजार में जो नहीं मिलते,
मिलती नहीं तारीफ
कभी इंसान को जीते जी,
सोच कर देखो जरा
क्या ऐसा कोई प्रमाण मिलते?