“सैल्यूट”
“सैल्यूट”
हमारा सैल्यूट है
सरहद में डटे हुए जवानों को,
एटलस का भार उठाए मजदूरों को
माटी-पुत्र किसानों को.
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
“सैल्यूट”
हमारा सैल्यूट है
सरहद में डटे हुए जवानों को,
एटलस का भार उठाए मजदूरों को
माटी-पुत्र किसानों को.
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति