सैल्यूट है थॉमस तुझे
जब थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब का अविष्कार किया, तब शायद उन्हें भी इस बात का अन्दाजा नहीं रहा होगा कि उनकी ये खोज एक दिन सारी दुनिया को बदल कर रख देगी। इसके पहले पूरी दुनिया अन्धेरों से डरती थी। चाँद की हल्की सी रोशनी, लालटेन की मद्धिम सी लौ और जुगनुओं की थोड़ी सी झिलमिलाहट ही अन्धेरे का विकल्प हुआ करती थी।
उस दौर में शाम होते ही चोरी के डर से मन्दिर-मस्जिद के पट बन्द हो जाया करते थे। ये मत भूलिए कि रोशनी की इस चकाचौंध के लिए थॉमस अल्वा एडिसन ने अपनी जिन्दगी की सैकड़ों रातें कुर्बान कर दी थी। सैल्यूट है ऐसे महान वैज्ञानिक को…।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
ग्लोबल ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन द्वारा
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।