सैनिक
सैनिक
तिरंगे की ओढ़ चदरिया ,जब सैनिक घर आया है,
हाय हाय यह क्या हो गया ,सबने शोर मचाया है।
सिरहाने पर बैठी अम्मा ,रो -रोआहें भरती हैं।
गूंज रहा चीत्कार द्वार पर ,छाती पीट बिलखती हैं।
देख चकित हैछोटी बिटिया,मां क्यूँ इतना रोती हैं,
पापा की अँखियाँ भी काहे ,आज इतना सोती है।
भीड़ लगी है लोग जमा हैं, फिर भी मातम छाया है,
हाय हाय यह…………………………………….।
बिटिया बोली देखो पापा, मां ने तो कंगन तोड़ दिये,
सुंदर -सुंदर लाल चूड़ियाँ ,पत्थर पर क्यों फोड़ दीये।
जब से तुम आये हो पापा, तब से हीं तुम सोये हो,
हर लोग बुलाते हैं तुमको, तुम किस दुनियाँ में खोए हो।
क्यों मां तुमसे रूठी है, क्या तुमने कुछ नहीं लाया है, हाय हाय यह…………………………………………..।
ठगी-ठगी सी बैठी पत्नी ,जीवन अब तो भार हुआ,
बहते आँसू सुना आँगन, उजड़ा यह संसार हुआ।
कैसे बीतेगा पहाड़ सा,जीवन सजना छोड़ गये,
सात जन्म का बंधन जाने ,क्यों एक पल में तोड़ गए।
पसरा है सन्नाटा कैसा, गम का बादल छाया है,
हाय हाय यह…………………………………।
अलका केशरी ,
सोनभद्र,उत्तर प्रदेश