सेवा या भ्रष्टाचार
सेवा या भ्रष्टाचार
घूम रहे द्वार द्वार
गले गले तक डकार गए
जनता के सामने नकार गए
कट्टर ईमानदार
अब जेल में पड़े हैं
चोर उचक्के बेईमान
सब समर्थन में खड़े हैं
सबके कंधों पर
भ्रष्टाचार के सितारे जड़े हैं
आज सभी जनता के
पैरों में पड़े हैं
जनता तो जनता है
सबको जानती है
बाहर की छोड़िए
अंदर तक पहचानती है
अब तो गेंद जनता के पाले में है
किसको रास्ता दिखाएगी
किसको सिंहासन दिलाएगी
अभी गर्भ के नाले में है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी