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10 Nov 2017 · 1 min read

सूर्य

हुआ शांत देखो सूरज भी,
जो भरी दुपहरी चिलचिलाता था।
बारह घंटे की ड्यूटी से,
वो थककर झल्लाता था।

मैं,सूर्य और घर लौटते पंछी आपस में बतियाए।
सुबह भोर से लगे हुए थे,सांझ ढले घर आए।
थककर अपना हाल बुरा,नहीं बचा हृदय उल्लास
बोले पक्षी हम तो स्वतंत्र हैं,नहीं जीवन कारावास।

आत्ममंथन किया मिलकर,सबका जीवन इक्वल है
कोई थोड़ा कोई है अधिक,सुख दुख संग हर पल है।
नीलम कर्म किए जा अपना,किस्मत सबकी निश्चल है
हर कोई अपना,कोई नहीं पराया,ग़र आप स्वयं सबल हैं।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
404 Views
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