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11 Dec 2021 · 1 min read

सूरज दादा(बाल कविता)

सूरज दादा(बाल कविता)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
बने “फेस बुक फ्रेन्ड” हमारे
जब से सूरज दादा
रोज कह रहे घर आऊँगा
पक्का मेरा वादा

एक रात जब सर्दी सँग में
ठिठुरन लेकर आई
“सूरज दादा आओ”
हमने तब आवाज लगाई

सुनते ही सूरज दादा
गरमी फैलाते आए
घर आए जब पास
पेड़ सब गरमी से झुलसाए

सभी मोहल्ले वाले बोले
“भइया ! इन्हें भगाओ
इन्हें बुलाकर
नहीं मोहल्ले में तुम आग लगाओ”।
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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