सूरज की किरण
ये रात कट क्यूं नहीं जाती
नई सुबह जल्दी क्यूं नहीं आती
क्यों इंतज़ार की घड़ियां बढ़ने लगी है
सहन करने की शक्ति घटने लगी है
अंधेरी रात का सन्नाटा पसरने लगा है
मन ज़रा सी बात से डरने लगा है
सूरज की किरणे रौशनी फैलाएगी
इस घनघोर अंधेरे को चीरती जाएगी
हर तरफ खुशहाली ले आएगी
जीने की नयी राह दिखाएगी