सूरज का मेरा हिस्सा
सूरज यूँ ही
उगते रहोगे क्या?
मुझे भी दो रौशनी।
मैं भी पथ पर प्रवेश करूँ।
क्यों है इतना अंधेरा‚
रात की खामोशी
और
बियाबान का सूनापन
तुम्हारे रौशनी के
मेरे हिस्से में.?
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सूरज यूँ ही
उगते रहोगे क्या?
मुझे भी दो रौशनी।
मैं भी पथ पर प्रवेश करूँ।
क्यों है इतना अंधेरा‚
रात की खामोशी
और
बियाबान का सूनापन
तुम्हारे रौशनी के
मेरे हिस्से में.?
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