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4 Oct 2021 · 1 min read

सूरज का मेरा हिस्सा

सूरज यूँ ही
उगते रहोगे क्या?
मुझे भी दो रौशनी।
मैं भी पथ पर प्रवेश करूँ।
क्यों है इतना अंधेरा‚
रात की खामोशी
और
बियाबान का सूनापन
तुम्हारे रौशनी के
मेरे हिस्से में.?
——————-

Language: Hindi
392 Views
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