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27 Jan 2024 · 1 min read

सूखा गुलाब

हर किसी की किताब में छिपा सूखा गुलाब।
जुड़ी होती है जिसके साथ यादें बेहिसाब।

वो चोरी-चोरी छुपा कर रखना होता था उसे
नज़रें ढूंढती रहती , पकड़ाना होता था जिसे।

काबू में नहीं होती थी, फिर दिल की धड़कने
हैरान होता है देख कर दिल इतनी अड़चनें।

गुलाब देने की तो करनी पड़ती थी रिहर्सल
सामने जाते ही जुबां जाती थी पर फिसल।

महकता गुलाब भी तब,आंख में लाया आंसू
किताब से जब निकला,तब भी लाया आंसू।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
53 Views
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