सुहासिनी की शादी
आप और हम हैं यहाँ पर, क्योंकि दिन है बहुत यह ख़ास।
विवाह बंधन में बंधने जा रही है, प्यारी लाड़ली सबकी सुहास।।
तारों में भी चहल पहल है कुछ तारे तो आ गये बहुत ही पास।
माता पिता दादा और दादी दिला रहे है अपनी उपस्थिति का एहसास।।
पता नहीं चलता है समय का कब कैसे गुज़र यह जाता है।
उँगली पकड़ने वाला हाथ देखो मेहँदी लगने को बढ़ जाता है।।
बिटिया तुम ससुराल में जाकर,बेटी बहन और भाभी बनकर ही रहना।
सास के आँचल में माँ को देखना और ससुर को अपने पापा ही कहना।।
भाई भाभी,बहन बहनोई तुम्हारी,ख़ुशियों में अब नाचेंगे और गायेंगे।
सुखी रहे संसार तुम्हारा हम सब मिल इस शाम को यादगार बनाएँगें।।
गौरव अब सोचेगा मैं किससे लड़ूँगा और अपने अब किस्से किसको सुनाऊँगा।
पर दीदी तुम चिंता मत करना मैं अपनी हर परेशानी सबसे पहले तुम्हें बताऊँगा।।
गौरव स्पर्शी और निखिल संग तुम्हें सुमन को मैं बस इतना कहना चाहता हूँ।
हर दिन महके ख़ुशियों से तुम्हारा बस इसी कामना के संग मैं रहना चाहता हूँ।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी