सुहानी सुबह
कितना हसीन लग
रहा है ये मौसम,
चारों तरफ यहां
बस हरियाली है,
जिंदगी है बहुत
खुशहाल यहां,
हाथों में चाय
की इक प्याली है।।
ये सुबह तो लग रही
है खुशनुमा बड़ी,
सुकून दे रही है मुझे
ये चहचहाट प्यारे
पंछियों की, जो
सुनाई दे रही है
मेरे कानो को ,
शीतल सरसराहट
हवा की दे रही है
ताज़गी मेरी सांसों को ।।
छुप गए तारे भोर में,
लेकिन चांद अभी भी
बिखेर रहा है चांदनी,
उसकी शीतलता जो
महसूस हो रही मुझे,
अब थोड़ी देर की ही
रह गई है वो मेहमान।।
आगाज़ हो रहा है
नए दिन का फिर,
पूरब से आएगा सूर्य,
हल्की हल्की भीनी सी
लालिमा दे रही दस्तक,
पूरब के आसमान में
अब आने की उसके।।
सूर्य देव के स्वागत में
पंछी भी नाद करते है,
खिल रहे फूल पाने को
स्पर्श उसकी किरणों का,
हो रहा उद्भव कहीं पर
नव जीवन का धरा पर,
आगाज़ हो रहा दिन का
आज हमारे जहान पर।।
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