सुहाना मंज़र
दर्द दिल का अब पुराना हो गया!
ख़ुशनुमा मंज़र सुहाना हो गया!!
आंसुओं को गर हंसी में ढ़ाल दो!
लोग कहते हैं दिवाना हो गया!!
नेकियां जग में कमाई हों अगर!
पास फ़िर समझो खज़ाना हो गया!!
हर घड़ी जो ख़ार बन चुभती रही!
बात वो भूले ज़माना हो गया!!
वक्त की देखी अजब चारागरी!
अब मुसाफ़िर भी सयाना हो गया!!
धर्मेंद्र अरोड़ा “मुसाफ़िर”
संपर्क सूत्र: 9034376051