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18 Oct 2019 · 1 min read

“सुहागन” #हिंदी कविता”

शीर्षक -“सुहागन”

पिया तोसे
कैसे कहूं मैं
मन की बात

साथ तेरे जिंदगी
की धूप-छांव में
बह रही हूं मैं

करती हूं सदा
तेरी ही बंदगी
मैं यह काफी
नहीं है

हर सुख-दुख में
साथ चलुं तेरे
यही है मेरी भावना

श्रृंगार करूं ना मैं
ना पहनूं कोई साज
सादा जीवन
उच्च विचार
निभा रही हूं आज

चुड़ी कुमकुम
मेहंदी गहने पहन
ओढ़े चुनरी लाल
ही क्या मैं सुहागन
कहलाऊं

करती हूं दुआ
परिवार में सबकी
सलामती की
खुशहाल व स्वस्थ
जीवन की
क्या ये सुहागन
कहलाने के
काबिल नहीं है

आरती अयाचित
भोपाल
स्वरचित एवं मौलिक

Language: Hindi
1 Like · 583 Views
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