सुलगी राख से सहज धूआं निकले l
सुलगी राख से सहज धूआं निकले l
पर मेरे इश्क गम से दुआं निकले ll
मेने जिसको चुना चुना l
बस रहा लोहे का चना ll
जो कभी प्रीत ना समझे l
किस धातु का बना बना ll
सहज जफा की तान तान l
वो रहता बस तना तना ll
रसिक विरह में भी सुख पा l
है जीवन से सना सना ll
लावण्य प्यारा निराला l
प्यास बढाये गुना गुना ll
मेने जिसको चुना चुना l
बस रहा लोहे का चना ll
अरविन्द व्यास “प्यास”