तुकबन्दी,
सुर लय साज में हो पाबन्दी,
गीत काव्य यदि न तुकबन्दी।
बात करो न खाली पीली,
तुकबन्दी नहीं है मामूली।
तुकबन्दी जब साज में होती,
कर्णप्रिय आवाज में होती।
तुकबन्दी ही गाना बनता,
कोई मधुर तराना बनता।
तुलसी सुर कबीर ने गाई,
तुकबन्दी दोहा चौपाई।
तुकबन्दी में स्तुति होती,
अभिव्यक्ती में प्रस्तुत होती।
तुकबन्दी दरबार सजाया,
बरदाई जगनिक ने गाया।
तुकबन्दी न महज एक शोर,
लता सुरैया रफी, किशोर।
तुकबन्दी हो तो सब प्यारा,
तुकबन्दी से बनता नारा।
तुकबन्दी का करो सम्मान,
तुकबन्दी में है राष्ट्रगान।