सुबह
सुबह हमारी स्मृति शक्ति ,
होती बहुत तंदुरुस्त है ,
शागिर्दों को पढ़ने का ,
उम्दा समय होता सुबह।
सुबह होने से अग्रे ही ,
मजदूर कृत्य करते जाते ,
ईमानदारी से क्लांति कर ,
अपना हयात व्यतीत करते।
आलसपन, निंदा को कूल ,
सुबह स्फूर्ति उठना सीखो ,
अपना नित्य कृत्य करो ,
मंजिल को लहना सीखो।
लोक में ना सम्प्राप्ति कुछ ,
जो न उठता सुबह है ,
लोक में तभी सम्प्राप्ति कुछ ,
जब उठता नित्य सुबह है।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या