*सुबह-सुबह अच्छा लगता है, रोजाना अखबार (गीत)*
सुबह-सुबह अच्छा लगता है, रोजाना अखबार (गीत)
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सुबह-सुबह अच्छा लगता है, रोजाना अखबार
1)
कागज पर खबरें पढ़कर ही, सच पूछो मन भरता
अक्षर-अक्षर पढ़ो ध्यान से, मन भीतर से करता
नई ताजगी अखबारों से, मिलती अपरंपार
2)
देश-विदेश हुआ क्या हमने, अखबारों से जाना
बचपन से पढ़ रहे इस तरह, गुजरा एक जमाना
संपादक का पृष्ठ सदा से, चिंतन को दे धार
3)
मोबाइल टीवी से यद्यपि, समाचार मिल जाते
लेकिन अपनेपन की खुशबू, अखबारों से पाते
दिनचर्या का नियम अभी भी, पढ़ने का आधार
सुबह-सुबह अच्छा लगता है, रोजाना अखबार
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451