सुबह – सवेरा
सुबह सवेरे का धूम्राभ
कितना रम्य कितना चारु
चित्त तो ऐसा करता हमारा
हर पल ऐसा ही रहे परिवेश।
अरुणोदय, प्रत्यूष जब खग
मृदुल-सी शिरोधरा खोलकर
चीं-चीं की आवाज से उठाती
उनका सहृदय करें धन्यवाद।
प्रभात में पढ़ने के होते
एक-दो न हजार फायदे
हजार मुनाफा में से एक
सीखते अल्प लम्हें में कुछ ।
सुबह- सुबह किसान भाई लोग
उठते ही जाते निज बागों की ओर
निज उत्तम लहराती फसलें देखके
उनका ह्रदय होता जाके उल्लासमय।
सूर्योदय जब होती तब नजारा
कितना कलित कितना उत्कृष्ट
सुबह – सुबह भ्रमण करने के
होते कई तरह के लाभ भव में।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार