सुबह भी तुम, शाम भी तुम
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
तुम ही मेरा दिन रात हो
संस्कार भी तुम, संस्कृति भी तुम
तुम ही मेरी पहचान हो
रीत भी तुम, प्रीत भी तुम
तुम ही मेरी गीत हो
मान भी तुम, शान भी तुम
तुम ही मेरा अभिमान हो
पटना भी तुम, बक्सर भी तुम
तुम ही मेरी बनारस हो
तबल भी तुम, खुमारी भी तुम
तुम ही मेरी चाहत हो
निक्की भी तुम, रिक्की भी तुम
तुम ही मेरी सरकार हो
तिनका भी तुम, सहारा भी तुम
तुम ही मेरा किनारा हो
धैर्य भी तुम, हिम्मत भी तुम
तुम ही मेरी जीत हो
नाव भी तुम, नाविक भी तूम
तुम ही मेरी पतवार हो
धर्म भी तुम, कर्म भी तुम
तुम ही मेरा मर्म हो
सार भी तुम, संसार भी तुम
तुम ही मेरी आधार हो
शरीर भी तुम, सांस भी तुम
तुम ही मेरी जिंदगी हो