सुन सुन कर बोल
सुन सुन कर बोल मैं समझ गई कोई घोर विपत्ति आई है जिसको तू भाई समझ रहा वह भाई नहीं अन्याई है
तेरा लखन नहीं यह कपटी है
छल करने हमसे आया है
आज मौका पाते ही बदल गया
यह घड़ी छलन की आई है
आज नीत डीगाई सिया पै
जिसे माता माता कहता था
बता कौन हुआ सौतेला किसका
यह दुनिया कहती आई है
मेरा मालिक केवल रघुवर है
तू उंगली तक न छू सकता
प्राणों पर खेलना आता मुझे
तेरी दुष्ट लगै परछाई है
तू विश दे दे विश्वास ना दे
यह दुनिया खत्म हो जाएगी
बलदेव भरोसा उठ जाएगा
क्यों तु आज बना अन्याई है