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18 Jul 2016 · 1 min read

सुन री सखि

गीत

सुन मेरी सखी रात होने लगी
प्रेम की मौज होठों खिलने लगी

रात सूनी इच्छा सी जताने लगी
देह ज्यो सँजना मे समाने लगी

नैन हो बाबले चैन खोने लगे
आग सी सीसकी मे सूखाने लगी

यामिनी भाव में जाग सोने लगी
साँस में प्रीत की सी जमाने लगी

रात की रागिनी खो गुंजाने लगी
मोहिनी सी मधु मधूप की होने लगी

Dr. Madhu Trivedi

Language: Hindi
69 Likes · 628 Views
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