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12 Jun 2023 · 1 min read

सुधर जाओ

तूने ऐसा किया तूने वैसा किया तो नहीं किया तूने वह किया,
क्यों आपस में ही हूं लड़ रहे दुनिया वालों ।
एक ही जन्म मिला है जीवन सुधारने को क्यों अपना जीवन बिगाड़ रहे हो दुनिया वालों।
समझना है समझ जाओ,
ना कोई कहेगा सुधरने को,
ना कोई आएगा संभालने को।

रह रहे हैं सब एक ही छत की आस एक ही आसमान की छत के नीचे,
फिर भी लड़ मर रहे हैं धर्म जात के पीछे।

यहां जी रहा है हर कोई अपने, लिए निस्वार्थ मां-बाप है जीते हैं जो बच्चों के लिए।

✍️वंदना ठाकुर ✍️

Language: Hindi
95 Views
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